प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्राजील दौरा भारतीय संस्कृति का वैश्विक मंच पर सम्मान

 

pic credit : modi twitter 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने ब्राजील दौरे के दौरान रियो डी जनेरियो में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति और परंपरा की अद्भुत छटा देखने को मिली, जब विवेक विद्या गुरुकुलम के छात्रों ने संस्कृत भाषा में रामायण का प्रदर्शन किया। 

भारतीय संस्कृति का वैश्विक विस्तार : यह प्रदर्शन ब्राजील में वेदांत और संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए मशहूर जोनास मसेटी द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम ने केवल भारतीय संस्कृति की समृद्धता को प्रदर्शित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारतीय परंपराएं सीमाओं से परे जाकर विश्व स्तर पर अपने लिए स्थान बना रही हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी का विशेष संबोधन: प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा:"संस्कृत और वेदांत जैसे हमारे प्राचीन ज्ञान के माध्यम से भारत ने विश्व को जोड़ा है। यह प्रदर्शन भारतीय संस्कृति की असीम संभावनाओं और इसकी वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है।" 

संस्कृत: प्राचीन से आधुनिक तक का सफर: इस कार्यक्रम ने यह भी दर्शाया कि संस्कृत भाषा, जो भारतीय परंपरा की आत्मा है, आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। छात्रों ने केवल उत्कृष्ट अभिनय किया, बल्कि रामायण के गूढ़ संदेशों को भी सरल और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया। यह प्रदर्शन दर्शकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव था। 

जोनास मसेटी: संस्कृति के वैश्विक प्रचारक: ब्राजील में भारतीय संस्कृति और वेदांत के प्रचार-प्रसार में जोनास मसेटी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने अपने गुरुकुल के माध्यम से संस्कृत और भारतीय दर्शन को ब्राजील के युवाओं तक पहुँचाया है। इस प्रकार के कार्यक्रम उनके प्रयासों की सफलता का प्रमाण हैं। 

वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति की पहचान : प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करता है। इस प्रकार की पहलें यह साबित करती हैं कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर केवल अतीत तक सीमित नहीं है, बल्कि आज भी यह दुनिया को प्रेरित कर रही है। 

ब्राजील में रामायण का संस्कृत में प्रदर्शन भारतीय संस्कृति की अद्भुत शक्ति और इसकी वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस आयोजन के माध्यम से भारतीय परंपराओं को वैश्विक मंच पर पहुँचाने की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है। यह प्रयास दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति और भाषा आज भी विश्व को जोड़ने की ताकत रखती है। 

 

 

 

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