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हरिबोधिनी एकादशी का त्योहार आज पूरे नेपाल में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के चार महीने के निद्रालीन योग का समापन होता है और वे जागृत होते हैं। इसे देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।
हिंदू
धर्म में हरिबोधिनी एकादशी का विशेष महत्व
है। मान्यता है कि इस
दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योगनिद्रा से
जागते हैं और सृष्टि के
संचालन का कार्य पुनः
प्रारंभ करते हैं। इस दिन को
देवताओं का दिन माना
जाता है, क्योंकि इस दिन से
सभी धार्मिक और मांगलिक कार्यों
की शुरुआत की जा सकती
है जो चातुर्मास के
दौरान वर्जित रहते हैं।
हरिबोधिनी
एकादशी पर तुलसी पूजा
का विशेष महत्व है। इस दिन तुलसी
के पौधे की पूजा की
जाती है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु की परम भक्त
और उनकी पत्नी के रूप में
पूजा जाता है। भक्त तुलसी और आंवला वृक्ष
की शाखाओं को एक धागे
से बांधकर एक विशेष अनुष्ठान
करते हैं। इसे तुलसी विवाह कहा जाता है, जिसमें तुलसी माता की भगवान विष्णु
के साथ शादी का प्रतीकात्मक आयोजन
होता है। इस विवाह को
देखने और इसमें शामिल
होने से मनुष्य को
विशेष पुण्य की प्राप्ति होती
है।
इस
दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु
की आराधना करते हैं। उपवास का महत्व इसलिए
भी अधिक है क्योंकि इसे
रखने से जीवन में
सुख-शांति और समृद्धि की
प्राप्ति होती है।
पूजन विधि:
1. प्रातः
स्नान कर भगवान विष्णु
और तुलसी माता की मूर्ति को
स्नान कराएं।
2. तुलसी
के पौधे को अच्छे से
सजाएं और दीप प्रज्वलित
करें।
3. विष्णु
सहस्त्रनाम का पाठ करें
और भगवान विष्णु की आरती करें।
4. इस
दिन गन्ने, नारियल, फल, फूल और मिठाई का
भोग लगाएं।
हरिबोधिनी एकादशी
का
उपवास
और
पूजा
करने
से
कई
लाभ
प्राप्त
होते
हैं:
- यह
पापों से मुक्ति दिलाता
है और आत्मा की
शुद्धि करता है। तुलसी विवाह का आयोजन करने
से दांपत्य जीवन में सुख और प्रेम बढ़ता
है।
नेपाल
में यह पर्व विशेष
हर्षोल्लास के साथ मनाया
जाता है। इस दिन मंदिरों
में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है
और श्रद्धालु भारी संख्या में एकत्र होते हैं। भक्त तुलसी विवाह का आयोजन करते
हैं और पारंपरिक भजन-कीर्तन से भगवान विष्णु
का स्वागत करते हैं।
नेपाल
में हरिबोधिनी एकादशी का पर्व केवल
एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और
सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक
है। इस दिन परिवार
और समुदाय के लोग एक
साथ मिलकर पूजा और अनुष्ठान करते
हैं, जिससे पारिवारिक और सामाजिक संबंध
मजबूत होते हैं।
हरिबोधिनी
एकादशी का पर्व भगवान
विष्णु की पूजा और
तुलसी विवाह के माध्यम से
आस्था और समर्पण का
पर्व है। इस पवित्र दिन
पर उपवास और पूजा करने
से भक्तों को विष्णु भगवान
की कृपा प्राप्त होती है और जीवन
में सकारात्मक बदलाव आते हैं। नेपाल में इस त्योहार को
मनाने की परंपरा सदियों
से चली आ रही है।